पृष्ठभूमि
महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आनेवाले अल्पसंख्यकों को भारत में नौकरी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए। जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि प्रधानमंत्री आकस्मिक निधि का उपयोग पाक से आनेवाले अल्पसंख्यकों के लिए किया जाना चाहिए। कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष पट्टाभि सीतारमैया , जे॰ बी॰ कृपलानी ने भी इस तरह की बात कही थी। इंदिरा गांधी ने कहा था कि पूर्वोत्तर के राज्यों में भ्रमण कर बांग्लादेश व पाक से आये अल्पसंख्यकों के दुख को साझा करना चाहती हूँ।
सन २००३ में मनमोहन सिंह ने विपक्ष के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से मांग की थी कि बांग्लादेश जैसे देशों से प्रताड़ित होकर आ रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में हमें ज्यादा उदार होना चाहिए। उन्होंने भाषण में कहा था,
मैं उम्मीद करता हूं कि माननीय उप प्रधानमंत्री इस संबंध में नागरिकता कानून को लेकर भविष्य की रूपरेखा तैयार करते समय ध्यान देंगे।
सिंह जब 2003 में भाषण दे रहे थे तब उच्च सदन में आसन पर उपसभापति नजमा हेपतुल्ला बैठी थीं। हेपतुल्ला को यह कहते सुना गया कि पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यक परेशान हैं और उनका भी ध्यान रखा जाए। तब तत्कालीन उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि विपक्ष के नेता (सिंह) ने जो कहा, उसका वह पूरा समर्थन करते हैं।
इसी तरह के विचार साम्यवादी नेता डी राजा ने भी व्यक्त किए थे और कहा था कि बंगाली हिन्दुओं को नागरिकता देने में सहयोग किया जाय।