जाल में फंसना
सबसे पहले तो शुरूआत तब होती है जब एक नया फोन घर आता है,दूसरों पड़ोसियों और मित्रो को देख,एक नया - मंहगा । भले ही उसकी कीमत ज्यादा हो , पर दूसरों को दिखाने योग्य हो। भले ही बजट बिगड़ जाए। वाह ! पहले तो उस फोन के लिए दिन रात मेहनत करके
पैसे जुटाएं फिर दैनिक रोजमर्रा चीजों पर कंजूसी करके , उस टाइम पर जोकि अपने बच्चे और पत्नी के लिए देना चाहिए और उन्हें जानने के लिए था वह बर्बाद कर दिया।
फोन तो एक मशीन है उसका क्या जीवन भर साथ नहीं दे सकती एक ना एक दिन तो खराब होना ही है फिर पेसा भी गया फोन भी और वह समय भी।