कुषाण साम्राज्य :
मौर्य राज्य के विघटन के बाद दूसरी शताब्दी बी सी में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय शक्तियों की अतिव्यापी सीमाओं का समावेश बन गया | भारत की असुरक्षित उत्तरपश्चिमी सीमा ने २०० बी सी और ३०० ऐ डी के बीच कई आक्रमणकारियों को आकर्षित किया | आक्रमणकारी विजय और निपटान की प्रक्रिया में भारतीय बन गए | उत्तर पश्चिम के इंडो ग्रीक ने मुद्राशास्त्र के विकास में योगदान दिया ; उसके बाद मध्य एशिया से आये गुट शकास मध्य भारत में निवास करने लगे |
अन्य बंजारे
प्रजाति , युएज्ही ने उत्तरपश्चिम भारत से शकास को बाहर खदेड़ दिया और कुषाण
साम्राज्य की स्थापित किया | कुषाण साम्राज्य ने अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के भागों को
अपने नियंत्रण में ले लिया और भारत में उनका साम्राज्य उत्तर पश्चिम में
पुरुशापुरा ( आधुनिक पेशावर ) से शुरू हो पूर्व में वाराणसी और दक्षिण में साँची
तक फैला हुआ था | कुछ समय के लिए उनका राज्य पूर्व में पाटलिपुत्र तक भी पहुँच गया
था | कुषाण साम्राज्य भारतीय ,पर्शियन,चाइनीज़ और रोमन के साम्राज्यों के बीच
व्यापार का मुख्य केंद्र था | कनिष्का जिसने 78 ऐ डी के आस पास दो दशकों तक राज्य
किया वह सबसे प्रभावशाली कुषाण राजा साबित हुआ | उन्होनें भी बौद्ध धर्म को अपना
लिया और कश्मीर में एक बड़ी बौद्ध समिति का गठन किया | कुषाण गंधारण कला के समर्थक
थे जो की ग्रीक और भारतीय शेली और संस्कृत साहित्य का अनोखा मेल था | उन्होनें 78
ऐ डी में शाक काल की शुरुआत की जिसका २२ मार्च १९५७ ,में भारत में नागरिक
उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने लगा जो की आज भी कायम है |