मध्यकालीन समय के प्रमुख हिन्दू राजा -शिवाजी
अनेक प्रतिभाओं के
मालिक और सही मायनों में एक दार्शनिक शिवाजी ने मराठा क्षेत्र में मराठा साम्राज्य
को स्थापित किया | उनके साम्राज्य में भारत ने नयी ऊँचाइयों को हासिल किया |
उन्होनें एक नयी युद्ध प्रणाली की खोज की जिसमें शत्रुओं को बिना अपना स्थान ज्ञात
करवाए उन पर हमला किया जा सकता था |
उनका राज १६३० से १६८० तक चला और इस समय में
सम्पूर्ण भारत एक ही शासक, शिवाजी के
अन्दर था | उन्हें सिविल राज्य और पूर्ण विकसित कानूनों की शुरुआत करने वाला राजा
माना जाता है |
१६५७ तक शिवाजी ने मुग़ल साम्राज्य से दोस्ताना सम्बन्ध बनाये रखे |
शिवाजी की मुघलों से तकरार मार्च १६५७ में शुरू हुई जब शिवाजी के दो अफसरों ने
अहमदनगर के पास मुग़ल क्षेत्र पर हमला किया | औरंगजेब ने इसका जवाब नसीरी खान को
भेज के किया जिन्होनें शिवाजी को शिकस्त दी | बीजापुर की बड़ी बेगम की गुज़ारिश पर
औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खान को जनवरी १६६० में बीजापुर सेना के साथ मिल
शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा | शाइस्ता खान ने अपनी विशाल सेना की मदद से पुणे
और पास के चाकन किले पर कब्ज़ा किया और शिवाजी के निवास लाल महल को अपना निवास बना
लिया | अप्रैल १६६३ में शिवाजी ने अचानक शाइस्ता खान पर हमला बोल दिया और महल पर
कब्ज़ा कर लिया | शाइस्ता खान ने पुणे के बाहर स्थित मुग़ल सेना के शिविर में शरण ली
और इसके लिए औरंगजेब ने उन्हें बंगाल जाने की सजा दी | शाइस्ता खान ने ३ फेब्रुअरी
१६६१ को कर्तलब खान को भेज शिवाजी पर हमला बोला | उम्म्बेर्खिंद के इस युद्ध में
शिवाजी की सेना ने जंगलों के रास्ते से जा इस सेना को पराजित करा दिया |
गुस्से में औरंगजेब ने मिर्ज़ा राजा जय सिंह को शिवाजी को हराने
भेजा | जय सिंह की सेना ने कई मराठा किलों पर कब्ज़ा किया जिससे शिवाजी को औरंगजेब
से संधि करनी पड़ी | ११ जून १६६५ को पुरंदर की संधि में शिवाजी ने मुघलों को अपने
२३ किलों को और ४ लाख मुआवजा देने की बात
मानी | शिवाजी ने अपने अभियानों के माध्यम से कई धन और संपत्ति हासिल की थी पर
क्यूंकि उन्हें कोई विशेष उपाधि प्राप्त नहीं थी इसलिए कायदे से वह अभी एक मुग़ल
जमींदार था शिवाजी को 6 जून १६७४ को रायगड में एक भव्य समारोह में मराठा सम्राज्य
का राजा घोषित किया गया | उन्हें “हैन्दावा धर्मोद्धारक” के ख़िताब से नवाज़ा गया |
१६७४ की शुरुआत में मराठा ने खानदेश पर हमला बोल बीजापुरी पोंडा ,
कारवार और कोल्हापुर पर कब्ज़ा कर लिया | शिवाजी ने मार्च १६७६ में अठानी पर हमला
बोला और साल के अंत तक बेल्गौम और वयेम रयिम पर कब्ज़ा कर लिया | १६७६ के अंत तक
उन्होनें वेल्लोर और गिंगी में आदिलशाही किलों पर कब्ज़ा कर लिया था | दक्षिण में
शिवाजी की जीत आगे के युद्धों में काफी महत्वपूर्ण रही ; गिंगी ने मराठा
स्वतंत्रता लड़ाई के दौरान ९ साल तक मराठा राजधानी का काम किया |
मार्च १६८० के अंत में शिवाजी को बुखार और दस्त हो गए , और ३ या ५
अप्रैल १६८० को ५२ साल की उम्र में वह ख़तम हो गए | शिवाजी के मौत के बाद , विधवा
सोयराबाई ने प्रशासन के अन्य मंत्रियों के साथ अपने सौतेले बेटे संभाजी को छोड़ अपने
बेटे राजाराम को सिंघासन पर बैठाने का फैसला किया |२१ अप्रैल १६८० को १० साल के
राजाराम को सिंघासन पर आसीन करा दिया गया लेकिन संभाजी ने सेनापति को मार रायगड
किले पर कब्ज़ा कर लिया और २० जुलाई को
सत्ता हासिल कर ली | राजाराम , उसकी पत्नी जानकी बाई और माँ सोयराबाई को गिरफ्तार
कर लिया गया और अक्टूबर में सोयराबाई को षड्यंत्र के इलज़ाम में मौत के घाट उतार
दिया गया |