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रचना

How I, then a young girl, came to think of, and to dilate upon, so very hideous an idea?

1816 की बारिश वाली गर्मियों में, "बगैर गर्मियों वाले वर्ष", 1815 में माऊंट तम्बोरा के फटने के कारण दुनिया लंबे शीत ज्वालामुखीय लहर की चपेट में आ गई थी। 18 साल की मेरी वोलस्टोनक्राफ्ट गॉडविन और उसके प्रेमी (बाद में पति) पर्सी बायशी शेली, स्विट्ज़रलैंड में जेनेवा झील के किनारे, विला डायोडाटी बंगले में लॉर्ड बायरन से मिलने पहुंचे। बाहर जाकर छुट्टियां बिताने की उनकी योजना के लिए गर्मियों का मौसम बहुत ही ठंडा और नीरस था, इसलिए समूह ने भोर तक घर के अंदर ही रहने का फैसला किया।

अन्य विषयों के साथ, बातचीत गैल्वानिस्म और लाश या संयोजित शरीर के अंगों में जान फूंकने की संभाव्यता और 18वीं सदी के नैसर्गिक दार्शनिक और कवि एरासमस डारविन के प्रयोगों की ओर मुड़ी, जिन्होंने कथित तौर पर मृत पदार्थों को सजीव किया था। बायरन विला में आग सेकते हुए, समूह ने जर्मन भूत-प्रेत संबंधी कहानिंया पढ़ कर अपना दिल बहलाया, जिसने बायरन को यह सुझाव देने पर प्रेरित किया कि उनमें से प्रत्येक को अपनी अलौकिक शक्ति पर कहानी लिखनी चाहिए. इसके कुछ समय बाद ही, एक जाग्रत स्वप्न में, मेरी गॉडविन के मन में फ्रैंकनस्टाइन का विचार आया।

I saw the pale student of unhallowed arts kneeling beside the thing he had put together. I saw the hideous phantasm of a man stretched out, and then, on the working of some powerful engine, show signs of life, and stir with an uneasy, half vital motion. Frightful must it be; for SUPREMELY frightful would be the effect of any human endeavour to mock the stupendous mechanism of the Creator of the world.

मेरी ने लिखना शुरू किया और ये माना कि ये एक लघु कथा होगी. पर्सी शेली के प्रोत्साहन के बाद मेरी ने इस लघु कथा को एक पूर्ण उपन्यास का रूप दे दिया. उन्होने बाद में स्विट्ज़रलैंड में बिताई उन गर्मियों को एक ऐसा पल करार दिया "जब मैं अपने बचपन से बाहर निकलकर जिंदगी में कदम रखा". बायरन, बालकन देशों के अपने दौरे के दौरान सुनी गई वैम्पायर की कहानियों पर आधारित एक छोटा सा ही लेख लिख पाया जो बाद में जॉन पिडोरी की "द वैम्पायर " (1819) का आधार बना, पिडोरी को रोमांटिक वैम्पायर शेली का जनक कहा जाता है। इस तरह एक घटना से दो महान डरावनी गाथाओं का जन्म हुआ।

1818 में प्रकाशित पहले तीन-भाग के संस्करण (1816-1817 के बीच लिखे गए) के लिए मेरी और पर्सी बायशी शेली के हाथों से लिखे गए कागज़ और मैरी द्वारा अपने प्रकाशक के लिए लिखी गई प्रति आज ऑक्सफॉर्ड के बॉडलियन पुस्तकालय में संग्रहित हैं। बॉडलियन ने 2004 में इन दस्तावेजों का अधिग्रहण किया और अब वे एबिंगर संग्रह का हिस्सा हैं। 1 अक्तुबर, 2008 को बॉडलियन ने फ्रैंकनस्टाइन का एक नया संस्करण प्रकाशित किया जिसमें मेरी शेली द्वारा लिखी गई मूल प्रति और उसमें पर्सी शैली द्वारा दिए गए सुझावों की तुलनात्मक व्याख्या की गई है। इस नए संस्करण का संपादन चार्लस E. रोबिनसन ने किया है।.. और इसका नाम है "द ऑरिजिनल फ्रैंकनस्टाइन " (ISBN 978-1851243969).