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देख आगे आंखिया न बुझे

देख आगे आंखिया न बुझे फेर सुधारन लंबा है ॥१॥

बहुत जनममें आये बाबा ये नरतनु अच्छा है ॥२॥

सुखके साती बहुत मिलते खाबे पिबे नकल जावे मूसे बुरा कहते हैं ॥३॥

औरत दौलत महेल खजाना आपने खातर बांधा है ॥४॥

जद साहेबका हुकूम हुवा जंगल जाके बैठा है ॥५॥

कहत कबीर सुनो भाई साधु. एकही नाम सच्चा है ॥६॥

नाम छांडे तो सुख न मिले देखो जंगलक फतरा है ॥७॥