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14 दोस्ती यारी

मिलते हैं मुश्किलों से,
पर रहते है दिलों में,
कभी हसाते
कभी सताते,
कभी रूठते
कभी मनाते,
मिलते नहीं जो लकीरों से
ढूंढा जाता है जिन्हें,
दिल के झरोको से...

है उनका हाथ
हमारी सब बदमाशियों के साथ,
रहते सदा वो हमारे साथ
देते हर सुख दुःख में साथ,
तभी तो संगी साथी वो कहलाते हैं,
जो यह दोस्ताना निभाते हैं।