Get it on Google Play
Download on the App Store

राष्ट्र का सेवक - मुंशी प्रेमचंद

राष्ट्र के सेवक ने कहा- देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच नहीं।


दुनिया ने जय-जयकार की - कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हदय!


उसकी सुन्दर लड़की इन्दिरा ने सुना और चिन्ता के सागर में डूब गई।


राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया।


दुनिया ने कहा-  यह फरिश्ता है, पैगम्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है।


इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा।


राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मन्दिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा - हमारा देवता गरीबी में है, ज़िल्लत में है, पस्ती में है।

 


दुनिया ने कहा- कैसे शुद्ध अन्त:करण का आदमी है! कैसा ज्ञानी!

 

इन्दिरा ने देखा और मुस्कराई।

 

इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली- श्रद्धेय पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूं।


राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नज़रों से देखकर पूछ- मोहन कौन है?


इन्दिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा- मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मन्दिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।

 

राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आंखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया।

 

 

कथासरित्सागर

संकलित
Chapters
वररुचि की कथा गुणाढ्य की कथा राजा विक्रम और दो ब्राह्मणों की कथा शूरसेन और सुषेणा की कथा कैवर्तककुमार की कथा काबुलीवाला अनमोल वचन - रबीन्द्रनाथ टैगोर दिन अँधेरा-मेघ झरते - रबीन्द्रनाथ टैगोर चल तू अकेला! - रबीन्द्रनाथ टैगोर विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना - रबीन्द्रनाथ टैगोर ओ मेरे देश की मिट्टी-रबीन्द्रनाथ टैगोर राजा का महल-रबीन्द्रनाथ टैगोर पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद मिट्ठू - मुंशी प्रेमचंद दो बैलों की कथा - मुंशी प्रेमचंद वैराग्य - मुंशी प्रेमचंद यह भी नशा, वह भी नशा - मुंशी प्रेमचंद राष्ट्र का सेवक - मुंशी प्रेमचंद परीक्षा - मुंशी प्रेमचंद कितनी जमीन? - लियो टोल्स्टोय