शंकराची आरती - वृषवाहन वृंदारक वृंदकवर श...
वृषवाहन वृंदारक वृंदकवर शंभो ।
वारणसदजिनवासो वारिदगलशंभो ।
वासववंदितअंभोविकसितपदशंभो ।
वाक्पतिवर्णितवैभव विश्वेश्वर शंभो ॥ १ ॥
जय देव जय देव शिवशंकर शंभो ।
श्यामल शरण परात्पर शशिशेखर शंभो ॥ धृ. ॥
भोंगि विभूषण भासुर भावनभुज शंभो ।
भुसूर भूरिभयापद भगवन् भय शंभो ।
भैरव भक्ति कुंभोदर क्षणभर शंभो ।
भासित भूत भयंकर भिक्षाटन शंभो॥ जय. ॥ २ ॥
गंगाधर गिरिजावर गुह्यकगुण शंभो ।
गाढ करा सितगुणजितगायनगल शंभो गीतागोरसभुग् भो गणपतिगुरु शंभो ॥
गंभीर गोपतिगर्जन गोपालक शंभो ॥ जय. ॥ ३ ॥
वारणसदजिनवासो वारिदगलशंभो ।
वासववंदितअंभोविकसितपदशंभो ।
वाक्पतिवर्णितवैभव विश्वेश्वर शंभो ॥ १ ॥
जय देव जय देव शिवशंकर शंभो ।
श्यामल शरण परात्पर शशिशेखर शंभो ॥ धृ. ॥
भोंगि विभूषण भासुर भावनभुज शंभो ।
भुसूर भूरिभयापद भगवन् भय शंभो ।
भैरव भक्ति कुंभोदर क्षणभर शंभो ।
भासित भूत भयंकर भिक्षाटन शंभो॥ जय. ॥ २ ॥
गंगाधर गिरिजावर गुह्यकगुण शंभो ।
गाढ करा सितगुणजितगायनगल शंभो गीतागोरसभुग् भो गणपतिगुरु शंभो ॥
गंभीर गोपतिगर्जन गोपालक शंभो ॥ जय. ॥ ३ ॥