अगर ज़ीका वायरस सालों से एशिया और अफ्रीका में मोजूद था तो उसका और माइक्रोसीफेली का सम्बन्ध पहले क्यूँ नहीं सामने आया?
ऐसा हो सकता है की वायरस ने इससे पहले कभी भी बिना सुरक्षा वाली इतनी बड़ी आबादी पर हमला नहीं बोला हो |
माइक्रोसेफेली दुर्लभ है और उसकी अन्य वजह भी हो सकती हैं जैसे रूबेला (जर्मन मीजल्स), साय्टोमेगालोवायरस या टोक्सोप्लाज़मोसिज़ की वजह से भ्रूण को संक्रमण ; शराब, पारा या विकिरण की वजह से भ्रूण को नुक्सान , या डायबिटीज और अत्यधिक कुपोषण | यह डाउन सिंड्रोम सहित अन्य जीन म्यूटेशन के कारण भी होता है।
अभी तक स्वास्थ्य अधिकारीयों ने ज़ीका वायरस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है | वह डेंगू और चिकनगुनिया वाले क्षेत्रों में ही प्रचलित था और इन दो दर्दनाक संक्रमण के देखे-उपनाम “हड्डी तोड़ बुखार” और “झुकाने वाला बुखार”- ज़ीका काफी मंद संक्रमण है |
ऐसा माना जाता है की ये वायरस अफ्रीका से एशिया करीब ५० साल पहले पहुँच चुका था | जब वह पहले फैला था तो हो सकता है की उसने माइक्रोसेफेली को भी प्रचलित किया हो , पर उस वक़्त कई वजहों में से किसी भी एक वजह को इंकित करने के लिए कोई जांच नहीं थी |
२००७ में ज़ीका वायरस की एक दक्षिण पूर्व एशियाई प्रजाति ने दक्षिण पसिफ़िक में जन्म लेना शुरू किया जिससे कई असुरक्षित द्वीपों पर इसका प्रकोप फ़ैल गया | क्यूंकि द्वीपों की आबादी कम होती है तो ऐसे छोटे दुर्लभ लक्षण लोगों की नज़र में नहीं आये | पर २०१३ में फ्रेंच पोलीनीशिया(जहाँ २७०००० की आबादी है) में प्रकोप के दौरान डोक्टरों ने गिल्लन बर्रे सिंड्रोम , जिससे लकवा होता है , के 42 मामलों की पुष्टि की | ये सामान्य संख्या से 8 गुना था और इससे पहली बार ये बात सामने आई की ज़ीका वायरस दिमाग पर असर कर सकता है |
ज़ीका की सबसे पहले पुष्टि ब्राज़ील(२० करोड़ की आबादी) में पिछले मई में हुई और फिर ये जंगल की आग की तरह फैलता गया | माइक्रोसफली के बारे में पहली चेतावनी अक्टूबर में उठाई गयी , जब उत्तरपूर्व के पेर्नाम्बुको राज्य के डोक्टरों ने इस बीमारी के साथ पैदा होने वाले बच्चों में वृद्धि की खबर दी | परनमबुको की आबादी नौ लाख है और वहां हर साल 129,000 जन्म होते है। एक साधारण साल में ९ नवजात माइक्रोसेफलिक होते हैं |
नवम्बर २०१५ तक , जब ब्राज़ील ने इसे स्वास्थ्य आपदा घोषित किया, पेर्नाम्बुको में ऐसे ६४६ जन्म हो चुके थे |