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श्रीवामनपुराण - अध्याय २८


 लोमहर्षणने कहा - इस प्रकार स्तुति किये जानेपर समस्त प्राणियोंके दृष्टि - पथमें न आनेवाले भगवान् वासुदेव उसके सामने प्रकट हुए और उससे ( इस प्रकार ) बोले - ॥१॥ 
श्रीभगवान् बोले - धर्मज्ञे ( धर्मके मर्मको जाननेवाली ) अदिति ! तुम मुझसे जिन मनचाही कामनाओंकी पूर्ति चाहती हो, उन्हें तुम मेरी कृपासे प्राप्त करोगी, इसमें कोई संदेह नहीं । महाभागे ! सुनो, तुम्हारे मनमें जिन वरोंकी इच्छा है, उन्हें तुम मुझसे माँगो; क्योंकि मेरे दर्शन करनेका फल कभी व्यर्थ नहीं होता । तुम्हारे इस ( अदिति ) वनमें रहकर जो तीन रातोंतक निवास करेगा, उसकी सभी मनचाही कामनाएँ पूरी होंगी । जो मनुष्य दूर देशमें स्थित रहकर भी तुम्हारे इस वनका स्मरण करेगा, वह परम धामको प्राप्त कर लेगा । फिर यहाँ रहनेवाले मनुष्यको परम धामकी प्राप्ति हो जाय, इसमें क्या आश्चर्य ? जो मानव इस स्थानपर पाँच, तीन अथवा दो या एक ही ब्राह्मणको श्रद्धापूर्वक भोजन करायेगा, वह उत्तम गति ( मोक्ष ) - को प्राप्त करेगा ॥२ - ६॥ 
अदितिने कहा - भक्तवत्सल देव ! यदि आप मेरी भक्तिसे मेरे ऊपर प्रसन्न हैं तो मेरा पुत्र इन्द्र तीनों लोकोंका स्वामी हो जाय । असुरोंने उसके राज्यको तथा यज्ञमें मिलनेवाले भागको छीन लिया है । अतः वरदाता प्रभो ! आप मेरे ऊपर प्रसन्न हैं तो मेरा पुत्र उसे ( राज्यको ) प्राप्त कर ले । केशव ! मेरे पुत्रके राज्यके असुरोंद्वारा छीने जानेका मुझे दुःख नहीं है, किंतु ( उसके ) प्राप्त होनेवाले उचित भागका छिन जाना मेरे हदयकी कुरेद रहा है ॥७ - ९॥ 
श्रीभगवान् बोले - देवि ! तुम्हारी इच्छाके अनुकूल मैंने तुम्हारे ऊपर कृपा - प्रसाद प्रकट किया है । ( सुनो ), कश्यपसे तुम्हारे गर्भमें मैं अपने अंशसे जन्म लूँगा और तुम्हारी कोखसे जन्म लेकर फिर तुम्हारे जितने शत्रु हैं, उन ( सभी ) - का वध करुँगा । नन्दिनि ! तुम शोक छोड़कर स्वस्थ हो जाओ ॥१० - ११॥ 
अदितिने कहा - देवदेवेश ! आप ( मुझपर ) प्रसन्न हो । विश्वभावन ! आपको मेरा नमस्कार है । हे केशव ! हे ईश ! आप विश्वके उत्पत्ति - स्थान और ईश्वर हैं । जिन आप प्रभुमें सारा संसार प्रतिष्ठित है, उन आपके भारको मैं अपनी कोखमें वहन न कर सकूँगी ॥१२॥ 
श्रीभगवानने कहा - नन्दिनि ! मैं स्वयं अपना और तुम्हारा - दोनोंका भार वहन कर लूँगा; मैं तुम्हें पीड़ा नहीं करुँगा । तुम्हारा कल्याण हो, अब मैं जाता हूँ । यह कहकर भगवानके चले जानेपर अदितिने गर्भको धारण कर लिया । भगवान् ( कृष्ण ) - के गर्भमें आ जानेपर सारी पृथ्वी डगमगा गयी । बड़े - बड़े पर्वत हिलने लगे एवं विशाल समुद्र विक्षुब्ध हो गये । द्विजश्रेष्ठो ! अदिति जहाँ - जहाँ जाती या पैर रखती थीं, वहाँ - वहाँकी पृथ्वी खेद ( भार ) - के कारण झुक जाती थी । जैसा कि ब्रह्माने ( पहले ) बतलाया था, मधुसूदनके गर्भमें आनेपर सभी दैत्योंके तेजकी हानि हो गयी ॥१३ - १६॥ 
॥ इस प्रकार श्रीवामनपुराणमें अट्ठाईसवाँ अध्याय समाप्त हुआ ॥२८॥
 

वामन पुराण Vaman Puran

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Chapters
श्रीवामनपुराण - अध्याय १ श्रीवामनपुराण - अध्याय २ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६ श्रीवामनपुराण - अध्याय ७ श्रीवामनपुराण - अध्याय ८ श्रीवामनपुराण - अध्याय ९ श्रीवामनपुराण - अध्याय १० श्रीवामनपुराण - अध्याय ११ श्रीवामनपुराण - अध्याय १२ श्रीवामनपुराण - अध्याय १३ श्रीवामनपुराण - अध्याय १४ श्रीवामनपुराण - अध्याय १५ श्रीवामनपुराण - अध्याय १६ श्रीवामनपुराण - अध्याय १७ श्रीवामनपुराण - अध्याय १८ श्रीवामनपुराण - अध्याय १९ श्रीवामनपुराण - अध्याय २० श्रीवामनपुराण - अध्याय २१ श्रीवामनपुराण - अध्याय २२ श्रीवामनपुराण - अध्याय २३ श्रीवामनपुराण - अध्याय २४ श्रीवामनपुराण - अध्याय २५ श्रीवामनपुराण - अध्याय २६ श्रीवामनपुराण - अध्याय २७ श्रीवामनपुराण - अध्याय २८ श्रीवामनपुराण - अध्याय २९ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३० श्रीवामनपुराण - अध्याय ३१ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३२ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३३ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३४ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३५ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३६ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३७ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३८ श्रीवामनपुराण - अध्याय ३९ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४० श्रीवामनपुराण - अध्याय ४१ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४२ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४३ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४४ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४५ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४६ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४७ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४८ श्रीवामनपुराण - अध्याय ४९ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५० श्रीवामनपुराण - अध्याय ५१ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५२ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५३ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५४ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५५ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५६ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५७ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५८ श्रीवामनपुराण - अध्याय ५९ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६० श्रीवामनपुराण - अध्याय ६१ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६२ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६३ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६४ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६५ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६६ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६७ श्रीवामनपुराण - अध्याय ६८