मत मर्दुमक-ए-दीदा में समझो ये निगाहें
मत मरदुमक-ए दीदह में समझो यह निगाहें
हैं जम'अ सुवैदा-ए दिल-ए चशम में आहें
किस दिल पह है अज़म-ए सफ़-ए मिज़हगान-ए ख़वुद-आरा
आईने के पा-याब से उतरी हैं सिपाहें
दैर-ओ-हरम आईनह-ए तकरार-ए तमनना
वा-मांदगी-ए शौक़ तराशे है पनाहें