Get it on Google Play
Download on the App Store

चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14

जिस कमरे में दोनों कुमारों की बेहोशी दूर हो जाने के कारण आंख खुली थी वह लम्बाई में बीस और चौड़ाई में पन्द्रह गज से कम न था। इस कमरे की सजावट कुछ विचित्र ढंग की थी और दीवारों में भी एक तरह का अनूठापन था। रोशनी के शीशों (हंडों और कन्दीलों) की जगह उसमें दो-दो हाथ लम्बी तरह-तरह की खूबसूरत पुतलियां लटक रही थीं और दीवारगीरों की जगह पचासों किस्म के जानवरों के चेहरे दीवारों से लगे हुए थे। दीवारें इस कमरे की लहरदार बनी हुई थीं और उन पर तरह-तरह की चित्रकारी की हुई थी। ऊपर की तरफ छत से कुछ नीचे हटकर चारों तरफ छोटी-छोटी खिड़कियां थीं जिससे जान पड़ता था कि ऊपर की तरफ गुलामगर्दिश या मकान है मगर इस समय सब खिड़कियां बन्द थीं और इस कमरे में से कोई रास्ता ऊपर जाने का नहीं दिखाई देता था।

कुंअर आनन्दसिंह ने इन्द्रजीतसिंह से कहा, “भैया, वह बुढ़िया तो अजब आफत की पुड़िया मालूम होती है। और उन लड़कों की तेजी भी भूलने योग्य नहीं है।”

इन्द्रजीत - बेशक ऐसा ही है! ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने हम लोगों को जीता छोड़ दिया। मगर हमें भैरोसिंह की बातों पर आश्चर्य मालूम होता है! क्या हम उसे वास्तव में कोई ऐयार समझें?

आनन्दसिंह - यदि वह ऐयार होता तो निःसन्देह हम लोगों को धोखा देने के लिये भैरोसिंह बना होता और साथ ही इसके पोशाक भी वैसी ही रखता जैसी भैरोसिंह पहिरा करता है, इसके सिवाय वह स्वयं अपने को भैरोसिंह प्रकट करके हम लोगों का साथी बनता, ऐसा न कहता कि मैं भैरोसिंह नहीं हूं। मगर उसकी नौजवान औरत (बुढ़िया) के विषय में...।

इन्द्रजीत - उस बुढ़िया की बात जाने दो, अगर वह वास्तव में भैरोसिंह है तो ताज्जुब नहीं कि मसखरापन करता है या पागल हो गया है और अगर वह पागल हो गया है तो निःसंदेह उस बुढ़िया की बदौलत जो उसकी आंखों में अभी नौजवान बनी हुई है।

आनन्द - उस बुढ़िया को जिस तरह हो गिरफ्तार करना चाहिए।

इन्द्रजीत - मगर उसके पहिले अपने को बेहोशी से बचाने का बन्दोबस्त कर लेना चाहिए क्योंकि लड़ाई-दंगे से तो हम लोग डरते ही नहीं।

आनन्द - जी हां, जरूर ऐसा करना चाहिए। दवा तो हम लोगों के पास मौजूद ही है और ईश्वर की कृपा से कमरे का दरवाजा भी खुला है।

दोनों भाइयों ने कमर से एक डिबिया निकाली जिसमें किसी तरह की दवा थी और उसे खाने के बाद कमरे के बाहर निकला ही चाहते थे कि ऊपर वाले छोटे-छोटे दरवाजों में से एक दरवाजा खुला और पुनः उसी नौजवान बुढ़िया के खसम भैरोसिंह की सूरत दिखाई दी। दोनों भाई रुक गये और आनन्दसिंह ने उसकी तरफ देखकर कहा, “अब आप यहां क्यों आ पहुंचे?'

भैरो - आपके हालचाल की खबर लेने और साथ ही इसके अपनी नौजवान औरत की तरफ से आपको ज्याफत का न्योता देने आया हूं। मालूम होता है कि वह तुम लोगों पर आशिक हो गई है तभी खातिरदारी का बन्दोबस्त कर रही है। उसने तुम लोगों के लिए कितनी अच्छी-अच्छी चीजें खाने की तैयार की हैं और अभी तक बनाती ही जाती है।

आनन्द - (हंसकर) और उन चीजों में जहर कितना मिलाया है?

भैरो - केवल डेढ़ छटांक, मैं उम्मीद करता हूं कि इतने से तुम लोगों की जान न जायेगी।

आनन्द - आपकी इस कृपा के लिए मैं धन्यवाद देता हूं और आपसे बहुत ही प्रसन्न होकर आपको कुछ इनाम दिया चाहता हूं, आप मेहरबानी करके जरा यहां आइये तो अच्छी बात है।

भैरो - बहुत अच्छा, इनाम लेने में देर करना भले आदमियों का काम नहीं है।

इतना कहकर भैरोसिंह वहां से हट गया और थोड़ी ही देर बाद सदर दरवाजे की राह से कमरे के अन्दर आता हुआ दिखाई दिया। जब कुंअर आनन्दसिंह के पास आया तो बोला, “लाइये क्या इनाम देते हैं।”

आनन्दसिंह ने फुर्ती से तिलिस्मी खंजर उसके हाथ पर रख दिया जिसके असर से वह एक दफे कांपा और बेहोश होकर जमीन पर लम्बा हो गया। तब आनन्दसिंह ने अपने भाई से कहा, “अब इसे अच्छी तरह जांचकर देख लेना चाहिए कि यह भैरोसिंह ही है या कोई और?'

इन्द्रजीत - हां, अब बखूबी पता लग जायगा, पहिले इसके दाहिनी बगल वाला मसा देखो।

आनन्द - (भैरोसिंह की बगल देखकर) देखिये मसा मौजूद है। अब कमर वाला दाग देखिये - लीजिए यह भी मौजूद है। इसके भैरोसिंह होने में अब मुझे तो किसी तरह का सन्देह नहीं रहा।

इन्द्रजीत - अब सन्देह हो ही नहीं सकता, मैंने इस मसे को अच्छी तरह खेंचकर भी देख लिया, अच्छा इसे होश में लाना चाहिए।

इतना कहकर इन्द्रजीतसिंह ने अपना वह हाथ जिसमें तिलिस्मी खंजर के जोड़ की अंगूठी थी भैरोसिंह के बदन पर फेरा भैरोसिंह तुरन्त होश में आकर उठ बैठा और ताज्जुब से चारों तरफ देखता हुआ बोला, “वाह-वाह! मैं यहां क्योंकर आ गया और आप लोगों ने मुझे कहां पाया?'

आनन्द - मालूम होता है अब आपका पागलपन उतर गया?

भैरो - (ताज्जुब से) पागलपन कैसा?

इन्द्रजीत - इसके पहिले तुम किस अवस्था में थे और क्या करते थे, कुछ याद है?

भैरो - मुझे कुछ भी याद नहीं।

इन्द्रजीत - अच्छा बताओ कि तुम इस तिलिस्म के अन्दर कैसे आ पहुंचे?

भैरो - केवल मुझी को नहीं बल्कि किशोरी, कामिनी, कमला, लक्ष्मीदेवी, लाडिली, कमलिनी और इन्दिरा को भी राजा गोपालसिंह ने इस तिलिस्म के अन्दर पहुंचा दिया है, बल्कि मुझे तो सबके आखीर में पहुंचाया है। आपके नाम की एक चिट्ठी भी दी थी मगर अफसोस! आपसे मुलाकात होने न पाई और मेरी अवस्था बदल गई।

इन्द्रजीत - वह चिट्ठी कहां है?

भैरो - (इधर-उधर देखकर) जब मेरे बटुए ही का पता नहीं तो चिट्ठी के बारे में क्या कह सकता हूं।

आनन्द - मगर यह तो तुम्हें याद होगा कि उस चिट्ठी में क्या लिखा था?

भैरो - क्यों नहीं, मेरे सामने ही तो वह लिखी गई थी। उसमें कोई विशेष बात न थी, केवल इतना ही लिखा था कि 'उस गुप्त स्थान से किशोरी, कामिनी इत्यादि को लेकर मैं जमानिया जा रहा था मगर मायारानी की कुटिलता के कारण अपने इरादे में बहुत कुछ उलट-फेर करना पड़ा। जब यह मालूम हुआ कि मायारानी तिलिस्मी बाग के अन्दर घुस गई है तब लाचार सब औरतों को तिलिस्म के अन्दर पहुंचाता हूं। बाकी हाल भैरोसिंह से सुन लेना' - बस इतना लिखा था। मालूम होता है कि पहिले का हाल वह आपसे कह चुके हैं।

इन्द्रजीत - हां पहिले का बहुत कुछ हाल वह हमसे कह चुके हैं।

भैरो - क्या यह भी कहा था कि कृष्णाजिन्न का रूप भी उन्हीं कृपानिधान ने धारण किया था?

आनन्द - नहीं सो तो साफ नहीं कहा था मगर उनकी बातों से हम लोग कुछ-कुछ समझ गये थे कि कृष्णाजिन्न वही बने थे, खैर अब तुम खुलासा बताओ कि क्या हुआ?

भैरोसिंह ने वह सब हाल दोनों कुमारों से कहा जो ऊपर के बयानों में लिखा जा चुका है और जिसका बहुत कुछ हाल राजा गोपालसिंह की जुबानी दोनों कुमार सुन चुके थे। इसके बाद भैरोसिंह ने कहा - “जब राजा गोपालसिंह को मालूम हो गया कि मायारानी बहुत से आदमियों को लेकर तिलिस्मी बाग के अन्दर जा छिपी है तब वे एक गुप्त राह से छिपकर सब औरतों को साथ लिये हुए उस मकान में पहुंचे जिसमें से कमन्द के सहारे सभों को लटकाते हुए शायद आपने देखा होगा।”

इन्द्रजीत - हां देखा था, तो क्या उस समय वे औरतें बेहोश थीं?

भैरो - जी हां, न मालूम किस खयाल से उन्होंने सब औरतों को बेहोश कर दिया था मगर इसके पहिले यह कह दिया था कि तुम्हें तिलिस्म के अन्दर पहुंचा देते हैं जहां दोनों कुमार हैं। यद्यपि वहां पहुंचना बहुत कठिन था मगर अब एक दीवार वाले तिलिस्म को दोनों कुमार तोड़ चुके हैं इसलिए वहां तक पहुंचा देने में कोई कठिनता न रही!

इन्द्र - तो क्या तुम भी उन औरतों के साथ ही उस बाग में उतारे गये थे?

भैरो - पहिले तो उन्होंने इन्द्रदेव को बहुत-सी बातें समझाईं-बुझाईं जिन्हें मैं समझ न सका। इसके बाद इन्द्रदेव को तो गोपालसिंह बनाया और इन्द्रदेव के एक ऐयार को भैरोसिंह बनाकर दोनों को खास बाग के अन्दर भेजा। इस काम से छुट्टी पाकर सब औरतों को और मुझे एक साथ लिए उस मकान में आये। सभों को तो उस कमरे में बैठा दिया जिसमें से कमंद के सहारे सबको लटकाया था और मुझे उनकी हिफाजत के लिए छोड़ने के बाद कमलिनी को साथ लिये हुए कहीं चले गये और घण्टे-भर के बाद वापस आये। उस समय कमलिनी के हाथ में एक छोटी-सी किताब थी जिसे उन्होंने कई दफे तिलिस्मी किताब के नाम से सम्बोधन किया था। इसके बाद उन्होंने सभी को बेहोश करके नीचे लटका दिया। इस काम से छुट्टी पाकर उन्होंने आपके नाम की दो चीठियां लिखीं, एक तो उसी कमरे में रक्खी और दूसरी चिट्ठी जिसका मैं अभी जिक्र कर चुका हूं मुझे देकर कहा कि 'जब कुमारों से तुम्हारी मुलाकात हो तो यह चिट्ठी उन्हें देना और सब काम कमलिनी की आज्ञानुसार करना, यहां तक कि यदि कमलिनी तुम्हें सामना हो जाने पर भी कुमारों से मिलने के लिए मना करे तो तुम कदापि न मिलना' इत्यादि कहकर मुझे नीचे उतर जाने के लिए कहा (कुछ रुककर) नहीं-नहीं, मैं भूलता हूं, मुझे उन्होंने पहिले ही नीचे उतार दिया था क्योंकि सभों की गठरी मैंने ही नीचे से थामी थी, सभों को नीचे उतार देने के बाद जब मैं उनकी आज्ञानुसार पुनः ऊपर गया तब उन्होंने ये सब बातें मुझे समझाईं और आपके इन्द्रदेव भी वहां आ पहुंचे जो गोपालसिंह की सूरत बने हुए थे। इन्द्रदेव ने राजा गोपालसिंह से कुछ कहना चाहा मगर उन्होंने रोक दिया और मुझसे कहा कि अब तुम भी कमन्द के सहारे नीचे उतर जाओ और इन्द्रदेव के आने का इन्तजार करो। मैं उनकी आज्ञानुसार नीचे उतर आया। मैं अन्दाज से कहता हूं कि उन बेहोशों में आप या छोटे कुमार छिपे थे और आप ही दोनों में से किसी ने मेरे बदन के साथ तिलिस्मी खंजर लगाया था जिससे मैं बेहोश हो गया।

इन्द्र - हां ठीक है, ऐसा ही हुआ था।

भैरो - फिर तो मैं बेहोश हो ही गया, मुझे कुछ भी नहीं मालूम कि इन्द्रदेव जो गोपालसिंह की सूरत में थे कब नीचे आये या क्या हुआ।

आनन्द - ठीक है, वह भी थोड़ी ही देर बाद नीचे उतरे और तुम्हारी तरह से वह भी बेहोश किए गए। (इन्द्रजीतसिंह से) अब मालूम हुआ कि इन्द्रदेव ही के कहे मुताबिक मैं आपको बुलाने के लिए ऊपर गया था।

भैरो - हां जब हम लोगों को उन्होंने चैतन्य किया तो कहा था कि दोनों कुमार ऊपर गए हैं। आखिर इन्द्रदेव ने कमन्द खींच ली और हम लोगों को लिये हुए दूसरी दीवार की तरफ गए। वहां कमलिनी ने जमीन खोदकर एक दरवाजा पैदा किया। ताज्जुब नहीं कि उसी दरवाजे की राह से आप लोग भी यहां तक आये हों और अगर ऐसा है तो उस कोठरी में भी अवश्य पहुंचे होंगे जहां की जमीन लोगों को बेहोश करके तिलिस्म के अन्दर पहुंचा देती है!

आनन्द - हम लोग भी उसी रास्ते से यहां तक आये हैं, अच्छा तो क्या इन्द्रदेव भी तुम लोगों के साथ यहां आये हैं?

भैरो - जी नहीं, वह तो ऊपर ही रह गये, बोले कि मुझे तिलिस्म के अन्दर जाने की आज्ञा नहीं है। तुम लोग जाओ मैं इसी बाग में छिपकर रहूंगा, जब दोनों कुमार यहां आ जायेंगे तब उनसे छिपकर पुनः कमन्द के सहारे ऊपर जाऊंगा और राजा गोपालसिंह के साथ मिलकर काम करूंगा।

आनन्द - (इन्द्रजीतसिंह से) तब ताज्जुब नहीं कि इन्द्रदेव ने ही सर्यू को बेहोश किया हो!

इन्द्र - जरूर ऐसा ही है, (भैरो से) अच्छा तब क्या हुआ?

भैरो - नीचे उतरकर जब हम लोग उस कोठरी में पहुंचे जहां की जमीन थोड़ी ही देर में लोगों को बेहोश कर देती है तब नियमानुसार सभों के साथ मैं भी बेहोश हो गया। उस समय से इस समय तक का हाल मुझे कुछ भी मालूम नहीं है, मैं बिल्कुल नहीं जानता कि इसके बाद क्या हुआ और मैं किस अवस्था में होकर क्यों इस तरह अपने को यहां पाता हूं।

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8