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चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8

वास्तव में भूतनाथ का हाल बड़ा ही विचित्र है। अभी तक उसका असल भेद खुलने में नहीं आता। वह जहां जाता है वहां ही एक विचित्र घटना देखने में आती है, जिससे मिलता है उसी से एक नई बात पैदा होती है, और जब जो कुछ करता है उसी में एक अनूठापन मालूम होता है। इस समय वह बलभद्रसिंह के साथ चुनारगढ़ वाले तिलिस्म में मौजूद है और वहां पहुंचने के साथ ही वह सुन चुका है कि कल राजा वीरेन्द्रसिंह भी इस जगह आने वाले हैं। वीरेन्द्रसिंह को तो आए हुए आज कई दिन हो चुके होते मगर उन्होंने जान-बूझकर रास्ते में बहुत देर लगा दी। नकली किशोरी, कामिनी और कमला के क्रिया-कर्म का बखेड़ा (जिसका करना लोगों को धोखे में डालने के लिए आवश्यक था) चुनार में ले जाना उन्होंने पसन्द न किया बल्कि रास्ते ही में निपटा डालना उचित जाना, इसलिए पन्द्रह-बीस दिन की देर उन्हें रास्ते ही में हो गई और इसी से वहां पहुंच जाने पर भूतनाथ ने सुना कि राजा वीरेन्द्रसिंह कल आने वाले हैं।

उस खंडहर में पहुंचने पर रात के समय भूतनाथ ने जो कुछ तमाशा देखा था उसका विचित्र हाल तो हम ऊपर के किसी बयान में लिख ही चुके हैं, आज उसी के आगे का हाल लिखकर हम अपने पाठकों के चित्त में भूतनाथ की तरफ से पुनः एक तरह का खुटका पैदा किया चाहते हैं।

बलभद्रसिंह ने जब अपने सिरहाने वाला लिफाफा उठाकर शमादान के सामने खोला तो उसके अन्दर से एक अंगूठी निकली जिसे देखते ही वह चिल्ला उठा और तब बिना कुछ कहे अपनी चारपाई पर आकर बैठ गया। भूतनाथ ने उससे पूछा, “क्यों यह अंगूठी कैसी है और इसे देखकर तुम घबड़ा क्यों गए?'

बलभद्र - इस अंगूठी ने मुझे कई ऐसी बातें याद दिला दीं जिन्हें स्वप्न की तरह कभी-कभी याद करके मैं चौंक पड़ता था, मगर आज नहीं फिर कभी मैं इसका खुलासा हाल तुमसे कहूंगा।

भूत - भला देखो तो सही उस लिफाफे के अन्दर कोई चिट्ठी भी है या केवल यह अंगूठी ही थी।

बलभद्र - (लिफाफा भूतनाथ के हाथ में देकर) लो तुम्हीं देखो।

भूत - (शमादान के पास लिफाफा ले जाकर और उसे अच्छी तरह देखकर) हां-हां, इसमें चिट्ठी भी तो है।

बलभद्र - (भूतनाथ के पास जाकर) देखें।

भूतनाथ ने वह चिट्ठी बलभद्रसिंह के हाथ में दी और बलभद्रसिंह ने बड़े शौक से उसे पढ़ा, यह लिखा हुआ था –

“यह अंगूठी देकर तुम्हें विश्वास दिलाते हैं कि तुम हमारे हो और हम तुम्हारे हैं। भूतनाथ को अपना सच्चा सहायक समझो और जो कुछ वह कहे उसे करो। भूतनाथ यह नहीं जानता कि हम कौन हैं मगर हम कल उससे मिलकर अपना परिचय देंगे और जो कुछ कहना होगा कहेंगे।”

इसी चिट्ठी को पढ़कर दोनों के जी में एक तरह का खुटका पैदा हो गया और बिना कुछ विशेष बातचीत किये दोनों अपनी-अपनी चारपाई पर जाकर लेट रहे मगर बची हुई रात दोनों ने अपनी आंखों में ही काटी, किसी को नींद न आई।

दूसरे दिन सबेरे ही पन्नालाल उन दोनों के पास पहुंचे और रात-भर का कुशल-मंगल पूछा। दोनों ही ने दुनियादारी के तौर पर कुशल-मंगल कहकर बातचीत की मगर रात के विचित्र हाल को अपने दिल के अन्दर ही छिपा रक्खा।

दिन भर इन दोनों का बड़े चैन और आराम से बीता। जीतसिंह से भी मुलाकात और कई तरह की बातें हुईं मगर जीतसिंह और उनकी आज्ञानुसार किसी ऐयार ने भी उन दोनों से मुकद्दमे की बात या किसी तरह का सवाल न किया क्योंकि यह बात पहिले से ही तय पा चुकी थी कि बिना राजा वीरेन्द्रसिंह के आये इस बारे में किसी तरह की बातचीत भूतनाथ से न की जायगी।

आज किसी समय राजा वीरेन्द्रसिंह के आने की खबर थी मगर वे न आये। संध्या के समय हरकारे ने आकर जीतसिंह को खबर दी कि राजा साहब कल संध्या के समय यहां आयेंगे, बलभद्रसिंह के आने की खबर उन्हें हो गई है।

संध्या होने के साथ ही भूतनाथ और बलभद्रसिंह के दिल में धुकधुकी पैदा हो गई कि देखा चाहिए कि आज की रात कैसी गुजरती है, तिलिस्मी चबूतरे के अन्दर से कौन निकलता है, और क्या कहता है।

रात आधी से ज्यादे जा चुकी है, कल की तरह आज भी इस लम्बे-चौड़े मकान के अन्दर सन्नाटा छाया हुआ है। भूतनाथ और बलभद्रसिंह अपनी-अपनी चारपाई पर लेटे हुए हैं मगर नींद किसी की आंखों में नहीं है और दोनों का ध्यान उसी तिलिस्मी चबूतरे की तरफ है। कल की तरह आज भी उस चबूतरे वाले दालान में कन्दील जल रही है जिसके सबब से वह पत्थर वाला चबूतरा साफ दिखाई दे रहा है।

भूतनाथ ने देखा कि कल की तरह आज भी इस पत्थर वाले चबूतरे का दरवाजा खुला और उसके अन्दर से एक आदमी स्याह लबादा ओढ़े हुए निकला। धीरे-धीरे घूमता-फिरता वह उस कमरे के दरवाजे पर पहुंचा जिसमें भूतनाथ और बलभद्रसिंह आराम कर रहे थे। कमरे का दरवाजा खुलने के साथ ही वे दोनों उठ बैठे और उस आदमी को कमरे के अन्दर पैर रखते हुए देखा।

उस आदमी ने हाथ के इशारे से बलभद्रसिंह को बैठने के लिए कहा और भूतनाथ को अपने पास बुलाया। भूतनाथ चारपाई के नीचे उतर पड़ा और अपना तिलिस्मी खंजर जो खूंटी के साथ लटक रहा था लेकर उस आदमी के पास गया। वह आदमी भूतनाथ को अपने साथ कमरे के बाहर वाले दालान में ले गया और वहां से सीढ़ी की राह नीचे उतरने के लिए कहा। भूतनाथ भी चुपचाप उसके साथ नीचे चला गया।

यहां भी एक कन्दील जल रही थी और चारों तरफ सन्नाटा था। उस आदमी ने अपना चेहरा खोल दिया और भूतनाथ को अपनी तरफ अच्छी तरह देखने के लिए कहा। भूतनाथ सूरत देखते ही चौंक पड़ा और बोला - “हैं, यह मैं किसकी सूरत देख रहा हूं! क्या धोखा तो नहीं है!”

आदमी - नहीं-नहीं, कोई धोखा नहीं है, 'मेमकुलचे' कहने से शायद तुम्हारा शक जाता रहेगा।

भूतनाथ - हां अब मेरा शक जाता रहा, मगर आप यहां कहां? क्या मुझे किसी तरह का विचित्र हुक्म दिया जायगा या मुझे राजा साहब से माफी मांगने की मोहलत ही न मिलेगी?

आदमी - हां तुम्हें एक विचित्र हुक्म दिया जायगा, मगर यह बताओ कि राजा साहब के बारे में तुमने क्या सुना है! वे कब तक यहां आयेंगे?

भूत - राजा वीरेन्द्रसिंह कल यहां अवश्य आ जायेंगे। आज हरकारे ने आकर यह पक्की खबर जीतसिंह को दी है!

आदमी - (कुछ सोचकर) यह तो बड़ी मुश्किल हुई, हमारे लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए।

भूत - (कांपकर) सो क्या! मैंने अब कौन-सा नया अपराध किया है?

आदमी - नया अपराध किया तो नहीं मगर करना पड़ेगा।

भूत - नहीं-नहीं, मैं अब कोई अपराध न करूंगा, जो कुछ कर चुका हूं उसी का कलंक मिटाना मुश्किल हो रहा है!

आदमी - मगर क्या किया जाय, लाचारी है, अपराध तो करना ही होगा और सो भी इसी समय।

भूत - (कुछ सोचकर) भला यह तो बताइए कि वह अपराध है क्या और मुझे क्या करना होगा!

आदमी - यह तो जानते ही हो कि बलभद्रसिंह हमारा है।

भूत - जी हां, मगर इस समय तो मेरी जान बचाने वाला है।

आदमी - बेशक।

भूत - तब आप क्या चाहते हैं?

आदमी - यही कि इस समय बलभद्रसिंह को बेहोश करके हमारे हवाले कर दो। हम तो उन्हें कल ही उठा ले गये होते मगर कल हमें निश्चय हो गया था कि तुम जाग रहे हो और लड़ने के लिए अवश्य तैयार हो जाओगे, इसलिए सोचा कि पहिले तुम्हें अपना परिचय दे लें तब यह काम करें जिसमें तुम्हारा दिल भी खुटके में न रहे।

भूत - मगर यह तो बड़ी मुश्किल होगी। अच्छा कल राजा वीरेन्द्रसिंह से उनकी मुलाकात करा लेने दीजिए।

आदमी - यह नहीं हो सकता। उन्हें हम आज ही ले जायेंगे नहीं तो हमारा बहुत हर्ज होगा और उस हर्ज में तुम्हारा भी नुकसान है।

भूत - हाय, नुकसान और दुःख भोगने के लिए तो मैं पैदा ही हुआ हूं! न जाने मेरी किस्मत में निश्चिन्त होना भी बदा है या नहीं! राजा वीरेन्द्रसिंह सुन चुके हैं कि भूतनाथ बलभद्रसिंह को छुड़ा लाया है, अब अगर इस समय आप उन्हें ले जायेंगे और कल राजा वीरेन्द्रसिंह उन्हें मुझसे मांगेंगे तो क्या जवाब दूंगा?

आदमी - कह देना कि मैं रात को सोया हुआ था न मालूम बलभद्रसिंह कहां चले गए। मुझे कुछ खबर नहीं, आप अपने पहरे वालों से पूछिए।

भूत - हां, यदि आप न मानेंगे तो ऐसा ही करना पड़ेगा।

आदमी - तो बस अब विलम्ब न करो, झटपट जाओ और उन्हें बेहोश करके हमारे पास ले आओ।

भूत - जिस समय मैंने बलभद्रसिंह को छुड़ाया था उस समय उन्हें विश्वास नहीं होता था कि मैं उनके साथ नेकी कर रहा हूं। बड़ी मुश्किल से तो उन्हें विश्वास दिलाया। इस समय आप जानते हैं कि वे भी जाग रहे हैं, आप खुद ही उन्हें बैठे रहने के लिए कह आए हैं। अब मैं उन्हें जबर्दस्ती बेहोश करूंगा तो उनके दिल में क्या आवेगा! क्या वे यह नहीं समझेंगे कि भूतनाथ ने नेकनीयती के साथ मेरी जान नहीं बचाई थी!

आदमी - अगर ऐसा समझेंगे तो समझें, तुम सोच क्या रहे हो! क्या मेरा हुक्म न मानोगे?

भूत - मेरी क्या मजाल जो आपका हुक्म न मानूं।

इतने ही में उसी तरह का स्याह लबादा ओढ़े और भी एक आदमी वहां आ पहुंचा। भूतनाथ समझ गया कि वह आदमी इसी का साथी है और कल भी यहां आया था। इस नए आए हुए आदमी ने पहिले आदमी से खास बोली (भाषा) में कुछ बातचीत की जिसे भूतनाथ कुछ भी न समझ सका, इसके बाद उसने परदा हटाकर अपनी सूरत भूतनाथ को दिखा दी।

अब भूतनाथ के ताज्जुब का कोई ठिकाना न रहा और वह एकदम घबड़ा के बोला, “नहीं-नहीं, मैं जागता नहीं हूं बल्कि जो कुछ देख रहा हूं सब स्वप्न है!”

दूसरा आदमी - भूतनाथ तुम पागल हो गए हो!

भूत - बेशक यही बात है, या तो मैं स्वप्न देख रहा हूं या पागल हो गया हूं।

पहिला आदमी - न तो तुम स्वप्न देख रहे हो और न पागल ही हो गए हो, जो कुछ देख-सुन रहे हो सब ठीक है। अच्छा अब तुम हम लोगों के साथ आओ, किसी दूसरी जगह अंधेरे में खड़े होकर बातचीत करेंगे, यहां केवल इसलिए खड़े हो गये थे कि तुम्हें अपनी सूरत दिखा दें।

इतना कहकर वे दोनों आदमी भूतनाथ का हाथ पकड़े हुए दूसरे दालान में चले गए जहां बिलकुल अंधकार था और यहां बातचीत करने लगे। इस जगह उन तीनों में जो कुछ बातें हुईं वह ऐयारी भाषा में हुईं इसलिए लिख न सके मगर आगे चलकर इन बातों का जो कुछ नतीजा निकलेगा पाठकों को मालूम हो जायगा। हां, इतना कह देना जरूरी है कि डेढ़ घण्टे तक उन तीनों में खूब बातें होती रहीं, इस बीच में दो दफे भूतनाथ के बड़े जोर से हंसने की आवाज आई, ताज्जुब नहीं कि वह आवाज बलभद्रसिंह के कानों तक भी पहुंची हो। इसके बाद भूतनाथ वहां से रवाना होकर बलभद्रसिंह के पास आया, देखा कि अभी तक वह बैठे हुए हैं और भूतनाथ का इन्तजार कर रहे हैं।

भूतनाथ को देखते ही बलभद्रसिंह बोले, “आओ-आओ भूतनाथ, मेरे पास बैठ जाओ और बताओ कि क्या हुआ! वह आदमी कौन था जो तुम्हें ले गया था?'

“मैं सब विचित्र हाल आपसे कहता हूं।” यह कहता हुआ भूतनाथ बलभद्रसिंह के पास बैठ गया, मगर इस तरह पर सटकर बैठा कि उसकी कमर में लगा तिलिस्मी खंजर बलभद्रसिंह के बदन के साथ छू गया और वह उसी समय कांपकर बेहोश हो गये।

बलभद्रसिंह के बेहोश हो जाने के बाद भूतनाथ ने उनकी गठरी बांधी और नीचे उतारकर दोनों विचित्र आदमियों के पास ले गया। उन दोनों ने उसे तिलिस्मी चबूतरे के पास पहुंचा देने के लिए कहा और भूतनाथ उसे तिलिस्मी चबूतरे के पास ले गया। तब वे दोनों आदमी बलभद्रसिंह को लेकर चबूतरे के अन्दर चले गये। चबूतरे का पल्ला बन्द हो गया और भूतनाथ कुछ सोचता-विचारता अपनी चारपाई पर आकर लेट रहा।

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 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चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8