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चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17

आधी रात का समय है, तिलिस्मी बाग में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है, इमारत के ऊपरी हिस्से पर चन्द्रमा की कुछ थोड़ी-सी चांदनी जरा झलक मार रही है। बाकी सब तरफ अंधकार छाया हुआ है। कुंअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह सोए हुए है। और भैरोसिंह एक खम्भे के सहारे बैठे हुए बारहदरी के सामने वाली इमारत को देख रहे हैं।

बारहदरी के सामने वाली इमारत दो मंजिली थी और उसकी लम्बाई तो बहुत ज्यादे थी मगर चौड़ाई बहुत कम थी। इमारत के ऊपर वाली मंजिल में बाग की तरफ छोटे-छोटे दरवाजे एक सिरे से दूसरे सिरे तक बराबर एक ही रंग-ढंग के बने हुए थे। दरवाजों के बीच में केवल एक खम्भे का फासला था और वे सब खम्भे भी एक ही ढंग के नक्काशीदार बने हुए थे जिसकी खूबी इस समय कुछ भी मालूम नहीं पड़ती थी मगर एक दरवाजे के अन्दर यकायक कुछ रोशनी की झलक पड़ जाने के कारण भैरोसिंह एकटक उसी तरफ देख रहे थे।

थोड़ी ही देर बाद ऊपर वाली मंजिल का एक दरवाजा खुला और पीठ पर गठरी लादे हुए एक आदमी बाईं तरफ से दाहिनी तरफ जाता हुआ दिखाई दिया। भैरोसिंह चैतन्य होकर सम्हलकर बैठ गये और बड़ी दिलचस्पी के साथ ध्यान देकर उस तरफ देखने लगे। कुछ देर बाद दरवाजा बन्द हो गया और उसके दाहिनी तरफ चार दरवाजे छोड़कर पांचवां दरवाजा खुला जिसके अन्दर हाथ में चिराग लिये हुए एक और आदमी इस तरह खड़ा दिखाई दिया जैसे किसी के आने का इन्तजार कर रहा हो। थोड़ी देर में चार-पांच औरतें मिलकर किसी लटकते बोझ को लिये हुए उसी आदमी के पास से निकल गईं जिसके हाथ में चिराग था और उन्हीं के पीछे-पीछे वह आदमी भी चिराग लिए चला गया। दरवाजा बन्द नहीं हुआ मगर उसके अन्दर अंधकार हो गया।

भैरोसिंह ने यह समझकर कि शायद हम और भी कुछ तमाशा देखें दोनों कुमारों को चैतन्य कर दिया और जो कुछ देखा था बयान किया।

हम कह आये हैं कि इस बारहदरी की पिछली दीवार के नीचे बीचोंबीच में अर्थात् चबूतरे के सामने एक छोटा दरवाजा था जिसके अन्दर भैरोसिंह ने जाने का इरादा किया था। इस समय यकायक उसी दरवाजे के अन्दर चिराग की रोशनी देखकर भैरोसिंह और दोनों कुमार चौंक पड़े और उठकर उस दरवाजे के सामने जा झांककर देखने लगे। मालूम हुआ कि इस छोटे से दरवाजे के अन्दर एक बहुत बड़ा कमरा है जिसके दोनों तरफ की लोहे वाली शहतीरें (बड़ी धरनें) बड़े-बड़े चौखूटे खम्भों के ऊपर हैं और उसकी छत लदाव की बनी हुई है। उस कमरे के दोनों तरफ के खम्भों के बाद भी एक दालान है और दालान की दीवारों में कई बड़े दरवाजे बने हैं जिनमें कुछ खुले और कुछ बन्द हैं।

दोनों कुमारों और भैरोसिंह ने देखा कि उसी कमरे के मध्य में एक आदमी जिसके चेहरे पर नकाब पड़ी थी, हाथ में चिराग लिए हुए खड़ा छत की तरफ देख रहा है। कुछ देर तक देखने के बाद वह आदमी एक खम्भे के सहारे चिराग रखकर पीछे की तरफ लौट गया।

भैरोसिंह और दोनों कुमार आड़ में खड़े होकर सब तमाशा देख रहे थे और जब वह आदमी चिराग रखकर हट गया तब भी यह सोचकर खड़े ही रहे कि 'जब चिराग रखकर गया है तो पुनः आवेगा ही।'

उस नकाबपोश को चिराग रखकर गये हुए दस-बारह पल से ज्यादे न बीते होंगे कि दूसरी तरफ वाले दरवाजे के अन्दर से कोई दूसरा आदमी निकलकर तेजी के साथ इस कमरे के मध्य में आ पहुंचा और हाथ की हवा देकर उस चिराग को बुझा दिया जिसे पहिला आदमी एक खम्भे के सहारे रखकर चला गया था, और इसके बाद कमरे में अंधकार हो जाने के कारण कुछ मालूम न हुआ कि यह दूसरा आदमी चिराग बुझाकर चला गया या उसी जगह कहीं आड़ देकर छिप रहा।

यह दूसरा आदमी भी जिसने कमरे में आकर चिराग बुझा दिया था अपने चेहरे पर स्याह नकाब डाले हुए था, केवल नकाब ही नहीं, उसका तमाम बदन भी स्याह कपड़े से ढंका हुआ था और कद में छोटा रहने के कारण इसका पता नहीं लग सकता था कि वह मर्द है या औरत।

थोड़ी ही देर बाद दोनों कुमारों और भैरोसिंह के कान में किसी के बोलने की आवाज सुनाई दी जैसे किसी ने उस अंधेरे में आकर ताज्जुब के साथ कहा हो कि 'हैं! चिराग कौन बुझा गया?

इसके जवाब में किसी ने कहा, “अपने को सम्हाले रहो और जल्दी से हट जाओ, कोई दुश्मन न आ पहुंचा हो।”

इसके बाद चौथाई घड़ी तक न तो किसी तरह की आवाज ही सुनाई दी और न कोई दिखाई ही पड़ा मगर दोनों कुमार और भैरोसिंह अपनी जगह से न हिले।

आधी घड़ी के बाद वह आदमी पुनः हाथ में चिराग लिये हुए आया जो पहिले खम्भे के सहारे चिराग रखकर चला गया था। इस आदमी का बदन गठीला और फुर्तीला मालूम पड़ता था। इसका पायजामा, अंगा, पटूका, मुड़ासा और नकाब ढीले कपड़े का बना हुआ था। अबकी दफे वह बायें हाथ में चिराग और दाहिने हाथ में नंगी तलवार लिये हुए था, शायद उसे पहले दुश्मन का खयाल था जिसने चिराग बुझा दिया था इसलिये उसने चिराग जमीन पर रख दिया और तलवार लिए चारों तरफ घूम-घूमकर किसी को ढूंढ़ने लगा। वह आदमी जिसने चिराग बुझा दिया था एक खम्भे की आड़ में छिपा हुआ था। जब पीले कपड़े वाला उस खम्भे के पास पहुंचा तो उस आदमी पर निगाह पड़ी, उसी समय वह नकाबपोश भी सम्हल गया और तलवार खेंचकर सामने खड़ा हो गया। पीले कपड़े वाले ने तलवार वाला हाथ ऊंचा करके पूछा, “सच बता तू कौन है?'

इसके जवाब में स्याह नकाबपोश ने यह कहते हुए उस पर तलवार का वार किया कि 'मेरा नाम इसी तलवार की धार पर लिखा हुआ है।

पीले कपड़े वाले ने बड़ी चालाकी से दुश्मन का वार बचाकर अपना वार किया और इसके बाद दोनों में अच्छी तरह लड़ाई होने लगी।

दोनों कुमार और भैरोसिंह लड़ाई के बड़े ही शौकीन थे इसलिए बड़ी चाह से ध्यान देकर उन दोनों की लड़ाई देखने लगे। निःसन्देह दोनों नकाबपोश लड़ने में होशियार और बहादुर थे, एक-दूसरे के वार को बड़ी खूबी से बचाकर अपना वार करता था जिसे देख इन्द्रजीतसिंह ने आनन्दसिंह से कहा, “दोनों अच्छे हैं, चिराग की रोशनी एक ही तरफ पड़ती है दूसरी तरफ सिवाय तलवार की चमक के और कोई सहारा वार बचाने के लिए नहीं हो सकता, ऐसे समय में इस खूबी के साथ लड़ना मामूली काम नहीं है!”

इसी बीच यकायक स्याह नकाबपोश ने अपने हाथ की तलवार जमीन पर फेंक दी और एक खम्भे की आड़ घूमता हुआ खंजर खींच और उसका कब्जा दबाकर बोला, “अब तू अपने को किसी तरह नहीं बचा सकता।”

निःसन्देह वह तिलिस्मी खंजर था जिसकी चमक से उस कमरे में दिन की तरह उजाला हो गया। मगर पीले नकाबपोश ने भी उसका जवाब तिलिस्मी खंजर से ही दिया क्योंकि उसके पास भी तिलिस्मी खंजर मौजूद था। तिलिस्मी खंजरों से लड़ाई अभी पूरी तौर से होने भी न पाई थी कि एक तरफ से आवाज आई, “पीले मकरंद, लेना, जाने न पावे! अब मुझे मालूम हो गया कि भैरोसिंह के तिलिस्मी खंजर और बटुए का चोर यही है, देखो इसकी कमर से वह बटुआ लटक रहा है, अगर तुम इस बटुए के मालिक बन जाओगे तो फिर इस दुनिया में तुम्हारा मुकाबला करने वाला कोई भी न रहेगा क्योंकि यह तुम्हारे ही ऐसे ऐयारों के पास रहने योग्य है!”

यह एक ऐसी बात थी जिसने सबसे ज्यादे भैरोसिंह को चौंका ही नहीं दिया बल्कि बेचैन कर दिया। उसने कुंअर इन्द्रजीतसिंह से कहा, “बस आप कृपा करके अपना तिलिस्मी खंजर मुझे दीजिये, मैं स्वयं उसके पास जाकर अपनी चीज ले लूंगा, क्योंकि यहां पर तिलिस्मी खंजर के बिना काम न चलेगा और यह मौका भी हाथ से गंवा देने लायक नहीं है।”

इन्द्र - हां बेशक ऐसा ही है, अच्छा चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूं।

आनन्द - और मैं?

इन्द्रजीत - तुम इसी जगह खड़े रहो, दोनों भाइयों का एक साथ वहां चलना ठीक नहीं, अकेला मैं ही उन दोनों के लिए काफी हूं।

आनन्द - फिर भैरोसिंह जाकर क्या करेंगे तिलिस्मी खंजर की चमक में इनकी आंख खुली नहीं रह सकती।

इन्द्रजीत - सो तो ठीक है।

भैरो - अजी आप इस समय ज्यादे सोच-विचार न कीजिए! आप अपना खंजर मुझे दीजिए बस मैं निपट लूंगा।

इन्द्रजीतसिंह ने खंजर जमीन पर रख दिया और उसके जोड़ की अंगूठी भैरोसिंह की उंगली में पहिरा देने के बाद खंजर उठा लेने के लिए कहा। भैरोसिंह ने तिलिस्मी खंजर उठा लिया और उस छोटे दरवाजे के अन्दर जाकर बोला, “मैं भैरोसिंह स्वयं आ पहुंचा!”

भैरोसिंह के अन्दर जाते ही दरवाजा आप से आप बन्द हो गया और दोनों कुमार ताज्जुब से एक-दूसरे की तरफ देखने लगे।

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8