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चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1

सोहागरात के दिन कुंअर इंद्रजीतसिंह जैसे तरद्दुद और फेर में पड़ गये थे ठीक वैसा तो नहीं मगर करीब-करीब उसी ढंग का बखेड़ा कुंअर आनंदसिंह के साथ भी मचा, अर्थात् उसी दिन रात के समय जब आनंदसिंह और कामिनी का एक कमरे में मेल हुआ तो आनंदसिंह छेड़छाड़ करके कामिनी की शर्म को तोड़ने और कुछ बातचीत करने के लिए उद्योग करने लगे मगर लज्जा और संकोच के बोझ से कामिनी हर तरह दबी जाती थी। आखिर थोड़ी देर की मेहनत और चालाकी तथा बुद्धिमानी की बदौलत आनंदसिंह ने अपना मतलब निकाल ही लिया और कामिनी भी जो बहुत दिनों से दिल के खजाने में आनंदसिंह की मुहब्बत को हिफाजत के साथ छिपाये हुए थी, लज्जा और डर को विदाई का बीड़ा दे कुमार से बातचीत करने लगी।

जब रात लगभग दो घंटे के बाकी रह गई तो कामिनी जाग पड़ी और घबराहट के साथ चारों तरफ देखकर सोचने लगी कि कहीं सबेरा तो नहीं हो गया क्योंकि कमरे के सभी दरवाजे बंद रहने के कारण आसमान दिखाई नहीं देता था। उस समय आनंदसिंह गहरी नींद में सो रहे थे और उनके घुर्राटे की आवाज से मालूम होता था कि वे अभी दो-तीन घंटे तक बिना जगाये नहीं जाग सकते अस्तु कामिनी अपनी जगह से उठी और कमरे की कई छोटी-छोटी खिड़कियों (छोटे दरवाजों) में से जो मकान के पिछली तरफ पड़ती थीं एक खिड़की खोलकर आसमान की तरफ देखने लगी। इस तरफ से पतित-पावनी भगवती जाह्नवी की तरल तरंगों की सुंदर छटा दिखाई देती थी जो उदास से उदास और बुझे दिल को भी एक दफे प्रसन्न करने की सामर्थ्य रखती थी परंतु इस समय अंधकार के कारण कामिनी उस छटा को नहीं देख सकती थी और इस सबब से आसमान की तरफ देखकर भी वह इस बात का पता न लगा सकी कि अब रात कितनी बाकी है, मगर सबेरा होने में अभी देर है इतना जानकर उसके दिल को कुछ भरोसा हुआ। उसी समय सरकारी पहरे वाले ने घड़ी बजाई जिसे सुनकर कामिनी ने निश्चय कर लिया कि रात अभी दो घंटे से कम बाकी नहीं है। उसने उसी तरफ की एक और खिड़की खोल दी और तब उस जगह चली गई जहां चौकी के ऊपर गंगा-जमुनी लोटे में जल रखा हुआ था। उसी चौकी पर से एक रूमाल उठा लिया और उसे गीला करके अपना मुंह अच्छी तरह पोंछने अथवा धोने के बाद रूमाल खिड़की के बाहर फेंक दिया और तब उस जगह चली आई जहां आनंदसिंह गहरी नींद में सो रहे थे।

कामिनी ने आंचल के कपड़े से एक मामूली बत्ती बनाई और नाक में डालकर उसके जरिये से दो-तीन छींकें मारीं जिसकी आवाज से आनंसिंह की आंख खुल गई और उन्होंने अपने पास कामिनी को बैठे हुए देखकर ताज्जुब से कहा, “हैं, तुम बैठी क्यों हो खैरियत तो है!”

कामिनी - जी हां, मेरी तबियत तो अच्छी है मगर तरद्दुद और सोच के मारे नींद नहीं आ रही है। बहुत देर से जाग रही हूं।

आनंद - (उठकर) इस समय भला कौन से तरद्दुद और सोच ने तुम्हें आ घेरा?

कामिनी - क्या कहूं, कहते हुए भी शर्म मालूम पड़ती है?

आनंद - आखिर कुछ कहो तो सही, शर्म कहां तक करोगी?

कामिनी - खैर मैं कहती हूं मगर आप बुरा न मानेंगे!

आनंद - मैं कुछ भी बुरा न मानूंगा, तुम्हें जो कुछ कहना है कहो।

कामिनी - बात केवल इतनी ही है कि मैं छोटे कुमार से एक दिल्लगी कर बैठी हूं मगर आज उस दिल्लगी का भेद जरूर खुल गया होगा, इसलिए सोच रही हूं कि अब क्या करूं इस समय कामिनी बहिन से भी मुलाकात नहीं हो सकती जो उनको कुछ समझा-बुझा देती।

आनंद - (ताज्जुब में आकर) तुमने कोई भयानक सपना तो नहीं देखा जिसका असर अभी तक तुम्हारे दिमाग में घुसा हुआ है यह मामला क्या है तुम कैसी बातें कर रही हो!

कामिनी - नहीं-नहीं, कोई विशेष बात नहीं है और मैंने कोई भयानक सपना भी नहीं देखा, बात केवल इतनी ही है कि मैं हंसी-हंसी में छोटे कुमार से कह चुकी हूं कि 'मेरी शादी अभी तक नहीं हुई है और मैं प्रतिज्ञा कर चुकी हूं कि ब्याह कदापि न करूंगी'। अब आज ताज्जुब नहीं कि कामिनी बहन ने मेरा सच्चा भेद खोल दिया हो और कह दिया हो कि 'लाडिली की शादी तो कमलिनी की शादी के साथ ही साथ अर्थात् दोनों की एक ही दिन हो चुकी है और आज उसकी भी सोहागरात है।' अगर ऐसा हुआ तो मुझे बड़ी शर्म...।

आनंद - (ताज्जुब और घबड़ाहट से) तुम तो पागलों की-सी बातें कर रही हो। आखिर तुमने अपने को ओैर मुझको समझा ही क्या है जरा घूंघट हटाकर बातें करो। तुम्हारा मुंह तो दिखाई ही नहीं देता!!

कामिनी - नहीं मुझे इसी तरह बैठे रहने दीजिए। मगर आपने क्या कहा मैं कुछ भी नहीं समझी, इसमें पागलपने की कौन-सी बात है?

आनंद - तुमने जरूर कोई सपना देखा है जिसका असर अभी तक तुम्हारे दिमाग में बसा हुआ है और तुम अपने को लाडिली समझ रही हो। ताज्जुब नहीं कि लाडिली ने तुमसे वे बातें कही हों जो उसने मुझसे दिल्लगी के ढंग पर कही थीं।

कामिनी - मुझे आपकी बातों पर ताज्जुब मालूम पड़ता है। मैं समझती हूं कि आप ही ने कोई अनूठा स्वप्न देखा है और यह भी देखा है कि कामिनी आपके बगल में पड़ी हुई है जिसका खयाल अभी तक बना हुआ है और मुझे आप कामिनी समझ रहें हैं। भला सोचिए तो सही कि छोटे कुमार (आनंदसिंह) को छोड़कर कामिनी आपके पास आने ही क्यों लगी कहीं आप मुझसे दिल्लगी तो नहीं कर रहे हैं?

कामिनी की आखिरी बात सुनकर आनंदसिंह बहुत बेचैन हो गये और उन्होंने घबड़ाकर कामिनी के मुंह से घूंघट हटा दिया, मगर शमादान की रोशनी में उसका खूबसूरत चेहरा देखते ही वे चौंक पड़े और बोले - “हैं! यह मामला क्या है लाडिली को मेरे पास आने की क्या जरूरत थी बेशक तुम लाडिली मालूम पड़ती हो कहीं तुमने अपना चेहरा रंगा तो नहीं है?'

कामिनी - (घबड़ाहट के ढंग पर) आपकी बातें तो मेरे दिल में हौल पैदा करती हैं! न मालूम आप क्या कह रहे हैं और इस बात को क्यों नहीं सोचते कि कामिनी को आपके पास आने की जरूरत ही क्या थी।

आनंद - (बेचैनी के साथ) पहले तुम अपना चेहरा धो डालो तो मैं तुमसे बातें करूं! तुम मुझे जरूर धोखा दे रही हो और अपनी सूरत लाडिली की-सी बनाकर मेरी जान सांसत में डाल रही हो! मैं अभी तक तुम्हें कामिनी समझ रहा था और समझता हूं।

कामिनी - (ताज्जुब से आनंदसिंह की सूरत देखकर) आपकी बातें तो कुछ विचित्र ढंग की हो रही हैं। जब आप मुझे कामिनी समझते हैं तो अपने को भी जरूर आनंदसिंह समझते होंगे?

आनंद - इसमें शक ही क्या है क्या मैं आनंदसिंह नहीं हूं?

कामिनी - (अफसोस से हाथ मलकर) हे परमेश्वर! आज इनको क्या हो गया!!

आनंद - बस अब तुम अपना चेहरा धो डालो तो मुझसे बातें करो, तुम नहीं जानतीं कि इस समय मेरे दिल की कैसी अवस्था है!

कामिनी - ठहरिये-ठहरिये, मैं बाहर जाकर सभों को इस बात की खबर कर देती हूं कि आपको कुछ हो गया है। मुझे आपके पास बैठते डर लगता है! हे परमेश्वर!!

आनंद - तुम नाहक मेरी जान को दुःख दे रही हो! पास ही तो पानी पड़ा है, अपना चेहरा क्यों नहीं धो डालतीं मुझे ऐसी दिल्लगी अच्छी नहीं मालूम होती, खैर अब बहुत हो गया, तुम उठो!

कामिनी - मेरे चेहरे में क्या लगा है जो धो डालूं आप ही क्यों नहीं अपना चेहरा धो डालते! क्या मुंह में पानी लगाकर मैं लाडिली से कोई दूसरी ही औरत बन जाऊंगी! या आप मुंह धोकर छोटे कुमार बन जायेंगे?

आनंद - (बेचैनी से बिगड़कर) बस-बस, अब मैं बरदाश्त नहीं कर सकता और न ज्यादे देर तक ऐसी दिल्लगी सह सकता हूं। मैं हुक्म देता हूं कि तुम तुरंत अपना चेहरा धो डालो नहीं तो तुम्हारे साथ जबरदस्ती की जायगी, फिर पीछे दोष न देना!

यह सुनते ही कामिनी घबड़ाकर उठ खड़ी हुई और यह कहती हुई कि 'आज भोर ही भोर ऐसी दुर्दशा में फंसी हूं, न मालूम दिन कैसा बीतेगा!' उस चौकी के पास चली गई जिस पर गंगाजमनी लोटा जल से भरा हुआ रखा था और पास ही में एक बड़ा-सा आफताबा भी था। पानी से अपना चेहरा साफ किया और दो-चार कुल्ला भी करने के बाद रूमाल से मुंह पोंछ आनंदसिंह से बोली, “कहिये मैं वही हूं कि बदल गई?'

कामिनी के साथ ही साथ आनंदसिंह भी बिछावन पर से उठकर वहां तक चले आये थे जहां पानी और आफताबा रखा हुआ था। जब कामिनी ने मुंह धोकर उनकी तरफ देखा तो कुमार के ताज्जुब की कोई हद न रही और वह पत्थर की मूरत बनकर एकटक उसकी तरफ देखते खड़े रह गये। इस समय खिड़कियों में से आसमान पर सुबह की सफेदी फैली हुई दिखाई दे रही थी और कमरे में भी रोशनी की कमी न थी।

कामिनी - (कुछ चिढ़ी हुई आवाज से) कहिये-कहिये, क्या मैं मुंह धोने से कुछ बदल गई आप बोलते क्यों नहीं?

आनंद - (एक लंबी सांस लेकर) अफसोस! तुम्हारे घूंघट ने मुझे धोखा दिया। अगर मिलाप के पहले तुम्हारी सूरत देख लेता तो धर्म नष्ट क्यों होता!

कामिनी - (जिसे अब लाडिली लिखेंगे, क्योंकि यह वास्तव में लाडिली ही है) फिर भी आप उसी ढंग की बातें कर रहे हैं और अभी तक अपने को छोटे कुमार समझते हैं। इतना हिलने-डोलने पर भी आपके दिमाग से स्वप्न का गुबार न निकला। (कमरे में लटकते हुए एक बड़े आईने की तरफ उंगली से इशारा करके) अब आप उसमें अपना चेहरा देख लीजिए तो मुझसे बातें कीजिये!

कुंअर आनंदसिंह भी यही चाहते थे, अस्तु वे उस आईने के सामने चले गये और बड़े गौर से अपनी सूरत देखने लगे। लाडिली भी उनके साथ ही साथ उस आईने के पास चली गई और जब वे ताज्जुब के साथ आईने में अपना चेहरा देख रहे थे तो बोली, “कहिये, अब भी आप अपने को छोटे कुमार ही समझते हैं या और कोई?'

क्रोध के साथ ही साथ शर्मिंदगी ने भी आनंदसिंह पर अपना कब्जा कर लिया और वे घबड़ाकर अपनी पोशाक पर ध्यान देने लगे, मगर उसमें किसी तरह की खराबी न पाकर उन्होंने पुनः लाडिली की तरफ देखा और कहा, “यह क्या मामला है मेरी सूरत किसने बदली?'

लाडिली - (ताज्जुब और घबड़ाहट के ढंग पर) क्या आप अपनी सूरत बदली हुई समझते हैं?

आनंद - बेशक!!

लाडिली - (अफसोस के साथ हाथ मलकर) अफसोस! अगर यह बात ठीक है तो बड़ा ही गजब हुआ!!

आनंद - जरूर ऐसा ही हे, मैं अभी अपना चेहरा धोता हूं!

इतना कहकर कुंअर आनंदसिंह उस चौकी के पास चले गये जिस पर पानी रखा हुआ था और अपना चेहरा धोने लगे। पानी पड़ते ही हाथ पर रंग उतर आया जिस पर निगाह पड़ते ही लाडिली चौंकी और रंज के साथ बोली, “बेशक चेहरा रंगा हुआ है! हाय बड़ा ही गजब हो गया! मैं बेमौत मारी गई। मेरा धर्म नष्ट हुआ। अब मैं अपने पति के सामने किस मुंह से जाऊंगी और अपनी हमजोलियों की वार्ता का क्या जवाब दूंगी! औरतों के लिये यह बड़े शर्म की बात है, नहीं-नहीं, बल्कि औरतों के लिए यह घोर पातक है कि पराये मर्द का संग करें। सच तो यों है कि पराये मर्द का शरीर छू जाने से भी प्रायश्चित लगता है और बात को तो कहना क्या है! हाय, मैं बर्बाद हो गई और कहीं की भी न रही। इसमें कोई शक नहीं कि आपने जान-बूझकर मुझे मिट्टी में मिला दिया!

आनंद - (अच्छी तरह चेहरा धोने के बाद रूमाल से मुंह पोंछकर) क्या कहा क्या जान-बूझकर मैंने तुम्हारा धर्म नष्ट किया?

लाडिली - बेशक ऐसा ही है, मैं इस बात की दुहाई दूंगी और लोगों से इंसाफ चाहूंगी।

आनंद - क्या मेरा धर्म नष्ट नहीं हुआ?

लाडिली - मर्दों के धर्म का क्या कहना है और इसका बिगड़ना ही क्या जो दस-दस पंद्रह-पंद्रह ब्याह से भी ज्यादे कर सकते हैं! बर्बादी तो औरतों के लिये है। इसमें कोई शक नहीं कि आपने जान-बूझकर मेरा धर्म नष्ट किया! जब आप छोटे कुमार ही थे तो आपको मेरे पास से उठ जाना चाहिए था या मेरे पास बैठना ही मुनासिब न था।

आनंद - मैं कसम खाकर कह सकता हूं कि मैंने तुम्हारी सूरत घूंघट के सबब से अच्छी तरह नहीं देखी, एक दफे ऐंचातानी में निगाह पड़ भी गई थी तो तुम्हें कामिनी ही समझा था और इसके लिये भी मैं कसम खाता हूं कि मैंने तुम्हें धोखा देने के लिये जान-बूझकर अपनी सूरत नहीं रंगी है बल्कि मुझे इस बात की खबर भी नहीं कि मेरी सूरत किसने रंगी या क्या हुआ।

लाडिली - अगर आपका यह कहना ठीक है तो समझ लीजिये कि और भी गजब हो गया! मेरे साथ ही साथ कामिनी बर्बाद हो गई होगी। जिस धर्मात्मा ने धोखा देकर मेरा संग आपके साथ करा दिया है उसने कामिनी को भी जो आपके साथ ब्याही गई है, जरूर धोखा देकर मेरे पति के पलंग पर सुला दिया होगा!

यह एक ऐसी बात थी जिसे सुनते ही आनंदसिंह का रंग बदल गया। रंज और अफसोस की जगह क्रोध ने अपना दखल जमा लिया और कुछ सुस्त तथा ठंडी रगों में बेमौके हरारत पैदा हो गई जिससे बदन कांपने लगा और उन्होंने लाल आंखें करके लाडिली की तरफ देख के कहा - “क्या कहा तुम्हारे पति के पलंग पर कामिनी! यह किसकी मजाल है कि...?”

लाडिली - ठहरिये-ठहरिये, आप गुस्से में न आ जाइये। जिस तरह आप अपनी और कामिनी की इज्जत समझते हैं उसी तरह मेरी और मेरे पति की इज्जत पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। मेरी बर्बादी पर तो आपको गुस्सा न आया और कामिनी का भी मेरा ही-सा हाल सुनकर आप जोश में आकर उछल पड़े, अपने आप से बाहर हो गये और आपको बदला लेने की धुन सवार हो गई! सच है दुनिया में किसी विरले ही महात्मा को हमदर्दी और इंसाफ का ध्यान रहता है, दूसरे पर जो कुछ बीती है उसका अंदाजा किसी को तब तक नहीं लग सकता जब तक उस पर भी वैसा ही न बीते। जिसने कभी एक उपवास भी नहीं किया है वह अकाल के मारे भूखे गरीबों पर उचित और सच्ची हमदर्दी नहीं कर सकता, यों उनके उपकार के लिये भले ही बहुत कुछ जोश दिखाये और कुछ कर भी बैठे। ताज्जुब नहीं कि हमारे बुजुर्ग और बड़े लोग इसी खयाल से बहुत से व्रत चला गये हों और इससे उनका मतलब यह भी हो कि स्वयं भूखे रहकर देख लो तब भूखों की कदर कर सकोगे। दूसरे के गले पर छुरी चला देना कोई बड़ी बात नहीं है मगर अपने गले पर सूई से भी निशान नहीं किया जाता। जो दूसरों की बहू-बेटियों को झांका करते हैं वे अपनी बहू-बेटियों का झांका जाना सहन नहीं कर सकते। बस इसी से समझ लीजिए कि मेरी बर्बादी पर आपको अगर कुछ खयाल हुआ तो केवल इतना ही कि बस कसम खाकर अफसोस करने लगे और सोचने लगे कि मेरे दिल से किसी तरह इस बात का रंज निकल जाय मगर कामिनी का भी मेरे ही जैसा हाल सुनकर म्यान के बाहर हो गये! क्या यही इंसाफ है और यही हमदर्दी है इसी दिल को लेकर आप राजा बनेंगे और राजकाज करेंगे!!

लाडिली की जोश भरी बातें सुनकर आनंदसिंह सहम गये और शर्म ने उनकी गर्दन झुका दी। वह सोचने लगे कि क्या करूं और इसकी बातों का क्या जवाब दूं! इसी समय कमरे का दरवाजा खुला (जो शायद धोखे में खुला रह गया होगा) और इंद्रदेव की लड़की इंदिरा को साथ लिये हुए कामिनी आती दिखाई पड़ी।

लाडिली - लीजिए, कामिनी बहिन भी आ पहुंचीं! ताज्जुब नहीं कि ये भी अपना हाल कहने के लिए आई हों, (कामिनी से) लो बहिन, आज हम तुम्हारे बराबर हो गए!

कामिनी - बराबर नहीं, बल्कि बढ़ के!!

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8