भांड
देख माया जद लगी बाबा आदमके पिछे । कैलास छांडकर स्मशानमो बैठे ॥ १ ॥
हाम तो भांड भई । गाया छांड देई ॥ ध्रु०॥
विष्णुके पिछे मायनाका धंदा । ब्रंदाबनमो घुसाघुसी मिठी लागी वृंदा ॥ २ ॥
ब्रह्मा बडा ब्रह्म खडा चारो बेद पढा । अधर्मसे रत हुवा एक सीर तोडा ॥ ३ ॥
जपी तपी जंगलमे बैठे उनसे ढाले घेरा । कुत्ता कुत्ती होके सब मुलुख फिरा ॥ ४ ॥
बडे हाडी अंगपर छाटी एक पाव खडा । जद माया पिछे लगी किया तडा तोडा ॥ ५ ॥
होकर भांड माया छांड जनार्दन पाव मिला । एका जनार्दनका स्वामी सब खेल खेला ॥ ६ ॥