हुशारी
हुशियार बंदा हुशियार । तेरा तन खबरदार । तुझें खिलावन एक नार । बतादेव सतरावी । घरपाई है ॥ १ ॥
बडे बडे साधुसंत । उनसे करले एकांत । सिद्धांत । आदिअंत उनको ॥ २ ॥
बडी तो सबसे बडी । जाडी तो धरतरीसे जाडी । एकवीस खन्नकी माडी । गगन बीचमें खडी है ॥ ३ ॥
दसवे द्वार झरोखा । देखले दिदार उनोका । नैन दीन लगावे ॥ ४ ॥
ब्रह्माविष्णु बडे देव । अजब गुरुग्यानी महादेव । पाहिये उनोकी ठेव । बैठके जग झुलाई है ॥ ५ ॥
अलख पुरुषको धुनी । तुर्या चेत रही उन्मनी । नहीं आदिअंत पुरनी । पन्नी महाकारण रूप है ॥ ६ ॥
अहंनाद निःशब्द मो । सो लगाईये चष्ममो । चुनक है मसुरमों । झकझक झकाकत है ॥ ७ ॥
लखलखाट हिरेकी खान । चकचकाट को मान । निशिदिन करत ना ध्यान । ग्यान बहोत आये गे ॥ ८ ॥
दिल रिझे तो करले धंदा । एका जनार्दनका बंदा । चुप सोने सो बताई है ॥ ९ ॥