गारुडी
यारो देखो रे देखो गयबी गारुडी आया ॥ध्रु०॥
पहिला पहिला कछु नही देखे । निराकार निजरूपा । अलख हातमो पलख बतावे । माया सगुन रूपा ॥ १ ॥
चल चल चल चल । री री री गा गा गा गा । बा बा बा बा ॥ २ ॥
सात सैली उपर विवेक समला शम दम छोडा । ग्यान ध्यानसो बांधा रुमाल समला सबही जोडा ॥ ३ ॥
अनुभव नगर उपर गाजे विद्या वेद पुराना । सोहं शब्दका बाज्या बाजे नाग सुरस नाना ॥ ४ ॥
एक दो ती मिलाके पांच पंचीस का बाणा । बत्तीस मिलाके तेहतीस होके उसका खाना खाना ॥ ५ ॥
क्षनका हुन्नेर क्षन मोही लाया क्षन मोक्षन जोडे । ऐसा हुन्नेर कहे जनार्दन एकनाथकु थाडे ॥ ६ ॥